मृग
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]मृग संज्ञा पुं॰ [सं॰] [स्त्री॰ मृगी]
१. पशुमात्र, विशेषतः वन्य पशु । जंगली जानवर ।
२. हिरन । विशेष—मृग नौ प्रकार के कहे गए हैं—मसूरु, रोहित, न्यंकु, संबर, वभ्रुण, रुरु, शश, एण और हरिण । विशेष दे॰ 'हिरन' ।
३. हाथियों की एक जाति जिसकी आँखें कुछ बड़ी होती है और गंडस्थल पर सफेद चिह्न होता है । उ॰—च्यारि प्रकार पिष्षि बन वारन । भद्र मंद मृग जाति सधारन ।—पृ॰ रा॰, २७ ।४ ।
४. मार्गशीर्ष । अगहन का महीमा ।
५. मृगशिरा नक्षत्र ।
६. एक यज्ञ का नाम ।
७. मकर राशि ।
८. अन्वेषण ।