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मैर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

मैर † ^१ संज्ञा पुं॰ [देश॰] सोनारों की एक जाति ।

मैर ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ मृदर, प्रा॰ मिअर( = क्षणिक)] साँप के विष की लहर । उ॰—तोहिं बजे बिष जाइ चढ़ि आइ जात मन मैर । बंसी तेरे बैर को घर घर सुनियत घैर ।—रसनिधि (शब्द॰) । (ख) खेलि कै फागु भली बिधि सों तन सों दृग देखिए मैर मढी़ सो ।—(शब्द॰) ।