मोड़ी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

मोड़ी संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ मुड़ना या देश॰]

१. घसीट वा शीघ्र लिखने की लिपि ।

२. दक्षिण भारत की एक लिपि जिसमें प्रायः मराठी भाषा लिखी जाती है । विशेष—इस लिपि की उत्पत्ति के विषय में कुछ लोगों का कहना हैं कि हेमाद्रि पंडित ने इसको लंका से लाकर महाराष्ट्र देश में प्रचलित किया । किंतु शिवाजी के पहले इसके प्रचार का कोई पता नहीं चलता । शिवाजी द्वारा राजकीय लिपि के रूप में स्वीकृत नागरी लिपि को त्वरा के साथ लिखने योग्य बनाने के विचार से शिबाजी के 'चिटनिस' (मंत्री, सरिश्तेदार) बालाजी अबाजी ने इसके अक्षरों को मोड़ ( तोड़ मरोड़) कर एक नई लिपि तैयार की । जिसे 'मोड़ी' कहते हैं (दे॰ भा॰ प्रा॰ लि॰, पृ॰ १३१-१३२) ।