मोथा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

मोथा संज्ञा पुं॰ [सं॰ मुस्तक, प्रा॰ मुस्थअ]

१. नागरमोया नामक घास । मुस्ता । उ॰—शूकर वृंद डहर में जाई । खोद निडर मोथा जर खाई ।—शकुंतला, पृ॰ ३३ ।

२. उपर्युक्त नागर- मोथा घास की जड़ जो ओषधि की भाँति प्रयुक्त होती है । उ॰—मोथा नीव चिरायत बासा । पीतपापरा पित कहँ नासा ।—इंद्रा॰, पृ॰ १५१ । विशेष—यह तृण जलाशयों में होता है । इसकी पत्तियों कुश की पत्तियों की तरह लंबी और गहरे हरे रंग की होती हैं । इसकी जड़े बहुत मोटी होती है, जिन्हें सुअर खोदकर खाते हैं ।