मोरी

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

मोरी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ मोहरी]

१. किसी वस्तु के निकलने का तंग द्धार ।

२. नाली जिसमें से पानी, विशेषतः गंदा और मैला पानी बहता हो । पनाली । उ—ऐसी गाढ़ी पीजिए ज्यौं मोरी की कीच । घर के जाने मर गए आप नशे के बीच ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰१, पृ॰ ८३ । मुहा॰—मोरी छुटना =दस्त आना । पेट चलना । मोरी पर जाना =पेशाब करने जाना । (स्त्रियाँ) ।

३. दे॰ 'मोहरी' ।

मोरी पु † ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ मयूरी, हिं॰ मोर + ई (प्रत्य॰)] मोर पक्षी का मादा । मयूरी । उ॰—मोरी सी घन गरज सुनि तू ठाढ़ी अकुलात ।—सीताराम (शब्द॰) ।

मोरी ^३ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] क्षत्रियों की एक जाति जो 'चौहान' जाति के अंतर्गत है । उ॰—जादौ रु बघेला मल्हवास । मोरी बड़गु- जर आइ पास ।—पृ॰ रा॰, १ ।४२४ ।