मोहनी
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
मोहनी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. वैशाख सुदी एकादशी ।
२. एक लंबा सुत सा कीड़ा जो हल्दी के खेतों में पाया जाता है । इसे पाकर तांत्रिक लोग वशीकरण यंत्र बनाते हैं ।
३. एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में सगण, भगण, तगण, यगण और सगण होते हैं । दे॰ 'मोहिनी—६' ।
४. भगवान् का वह स्त्री- रुप जो उन्होने समुद्रमंथन के उपरांत अमृत बाँटते समय धारण किया था ।
५. एक प्रकार की मिठाई । .
६. वशीकरण का मंत्र । लुभाने का प्रभाव । उ॰—(क) जिन निज रुप मोहनी डारी । कीन्हें स्वबस सकल नर नारी ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) निरखि लखन राम जाने रितु पति काम मोहि मानो मदन मोहनी मुँड नाई है ।—(शब्द॰) । मुहा॰—मोहनी डालना वा लाना =ऐसा प्रभाव डालना कि कोई एकदम मोहित हो जाय । माया के वश करना । जादु करना । उ॰—नागरि मन गई अरुझाइ । अति विरह तनु भई व्याकुल घर न नेकु सुहाइ । श्याम सुंदर मदनमोहन मोहनी सी लाइ ।—सुर (शब्द॰) । मोहनी लगना =जादु लगने के कारण मोहित होना । मोहित होना । लुभाना । उ॰—आजु गई हौं नंदभवन में कहा कहौं ग्रह चैनु री । बोलि लई नव बधु जानि कै खेलत जहाँ कँधाई री । मुख देखत मोहनी सी लागत रुप न बरन्यो जाई री ।—सुर (शब्द॰) ।
७. माया ।
८. पोई का साग ।
मोहनी ^२ वि॰ स्त्री॰ [सं॰] मोहित करनेवाली । चित को लुभानेवाली । अत्यंत सुंदरी ।