मौत
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]मौत संज्ञा स्त्री॰ [अ॰]
१. मरने का भाव । मरण । मृत्यु । विशेष दे॰ 'मृत्यु' । उ॰—अरे कंस ! जिसे तू पहुँचाने चला है, तिसका आठवाँ लड़का तेरा काल उपजेगा । उसके हाथ तेरी मौत है ।—लल्लू (शब्द॰) ।
२. वह देवता जा मनुष्यों या प्राणियों के प्राण निकालता है । मृत्यु । उ॰—बिरह तेज तन में तपै अंग सबै अकुलाय । घट सूना जिब पीव में, मौति दूँढ़ि फिर जाय ।—कबीर (शब्द॰) । मुहा॰—मौत आना=मरने को होना । मौत का पसीना आना=आसन्नमरण होना । मरने के लक्षण दिखाई देना । मौत का सिर पर खेलना=(१) मरने को होना । मरने पर होना । (२) दुर्दिन आने को होना । आपत्ति काल समीप होना । (३) प्राण जाने का भय होना । जान जोखों होना । मौत का तमाचा=मृत्यु का स्मरण दिलानेवाला कार्य का घटना । अपनी मौत मरना=स्वाभाविक ढंग से मरना । प्राकृतिक नियम के अनुसार मरना । मौत बुलाना=ऐसा काम करना जिससे मौत निश्चित हो ।
३. मरने का समय । काल । मौत की घड़ी । मृत्युकाल । मुहा॰—मौत माँगना=कष्ट, कठिनाइयों से ऊबकर मौत मनाना । मौत के दिन पूरे होना=किसी प्रकार आयु बिताना । कठिनता से कालक्षेप करना । ऐसे दुःख में दिन बिताना जिसमें बहुत दिन जीना असंभव हो ।
४. अत्यंक कष्ट । आपत्ति । जैसे,—वहाँ जाना तो हमारे लिये मौत है ।