मौरना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

मौरना क्रि॰ स॰ [हिं॰ मौर+ना (प्रत्य॰)] वृक्षों पर मंजरी लगना । आम आदि के पेड़ों पर बौर लगना । उ॰—(क) काटे आँब न मौरिया फाटे जुरे न कान । गोरख पद परसे बिना कहौ कौन की सान ।—कबीर (शब्द॰) । (ख) शिशिर होत पतझार, आँब कटाहर एक से । राह बंसंत निहार, जग जाने मौरत प्रगट ।—हनुमन्नाटक (शब्द॰) । (ग) बिलोके तहाँ आँव के साखि माँरे । चहूँधा भ्रमै हुंकरैं भौंर बौरे । लगे पौन के झोंक डारैं झुकावैं । बिचारे वियोगोन को ज्यों डरावै ।—गुमान (शब्द॰) ।