यज्ञोपवीत
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]यज्ञोपवीत संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. जनेऊ । यज्ञसूत्र ।
२. हिंदुओं में ब्राह्मणों, क्षत्रियों और वैश्यों का एक संस्कार । व्रतबंध । उपनयन । जनेऊ । विशेष— यह संस्कार प्राचीन काम में उस समय होता था, जब बालक की विद्या पढ़ाने के लिये गुरु के पास ले जाते थे । इस संस्कार के उपरांत बालक को स्नातक होने तक ब्रह्मचर्यपूर्वक रहना पड़ता था और भिक्षावृत्ति से अपना तथा अपने गुरु का निर्वाह करना पड़ता था । अन्यान्य संस्कारों की भांति यह संस्कार भी आजकल नाममात्र के लिये रह गया है । इसमें कुछ विशिष्ट धार्मिक कृत्य करके बालक के गले में जनेऊ पहना दिया जाता है । ब्राह्मण बालक के लिये आठवें वर्ष, क्षत्रिय बालक के लिये ग्यारहवें वर्ष और वैश्य बालक के लिये बारहवें वर्ष यह संस्कार करने का विधान है ।