यव
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]यव संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. जौ नामक अन्न । विशेष दे॰ 'जौ' ।
२. एक जौ या १२ सरसों की तौल का एक मान ।
३. लंबाई की एक नाप जो एक इंच की एक तिहाई होती है ।
४. सामुद्रिक के अनुसार जौ के आकार की एक प्रकार की रेखा जो उँगली में होती है और जो बहुत शुभ मानी जाती है । कहते हैं, यदि यह रेखा अँगूठे में हो, तो उसका फल और भी शुभ होता है । इस रेखा का रामचंद्र के दाहिने पैर के अँगूठे में होना माना जाता है ।
५. वेग । तेजी ।
६. वह वस्तु जो दोनों ओर उन्नतोदर हो ।