यवन
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]यवन संज्ञा पुं॰ [सं॰] [स्त्री॰ यवनी]
१. वेग । तेजी ।
२. तेज घोड़ा ।
३. यूनान देश का निवासी । यूनानी । विशेष— यूनान देश में 'आयोनिया' नामक प्रांत या द्वीप है, जिसका लगाव पहले पूर्वीय देशों से बहुत अधिक था । उसी के आधार पर भारतवासी उस देश के निवासियों को, और तदु- परांत भारत में यूनानियों के आने पर उन्हें भी 'यवन' कहते थे । पीछ से इस शब्द का अर्थ और भी विस्तृत हो गया और रोमन, पारसी आदि प्रायः सभी विदेशियों, विशेषतः पश्चिम से आनेवाले विदेशियों का लोग 'यवन' ही कहने लगे; और इस शब्द का प्रयोग प्रायः 'म्लेच्छ' के अर्थ में होने लगा । परंतु महाभारत काल में यवन और म्लेच्छ यो दोनों भिन्न भिन्न जातियाँ मानी जाती थी । पुराणों के अनुसार अन्यान्य म्लेच्छ जातियों (पारद, पह्लव आदि) के समान यवनों की उत्पत्ति भी वसिष्ठ और विश्ववमित्र के झुगडे़ के समय वसिष्ठ की गाय के शरीर से हुई थी । गाय के 'योनि' देश से यवन उत्पन्न हुए थे ।
४. मुसलमान । उ॰— भूषण यों अवनी यवनी कहँ कोऊ कहै सरजा सो हहारे । तू सबको प्रतिपालनहार बिचारे भतार न मारु हमारे ।—भूषण (शब्द॰) ।
५. कालयवन नामक म्लेच्छ राजा जो कृष्ण से कई बार लड़ा था ।