यवनिका
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]यवनिका संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. कनात ।
२. नाटक का परदा । विशेष— प्राचीन काल में नाटक के परदे संभवतः यवन देश मे आए हुए कपड़े से बनते थे, इसीलिये इनको यवनिका कहते थे । आधुनिक अनेक पंडितों के शोधानुसार शुद्ध संस्कृत शब्द 'जवनिकी' है । 'राजशेखर' की 'कर्पूरमंजरी' में प्रयुक्त 'जवनिकांतर' के संस्कृतीकरण की भ्रांति से 'यवनिका' शब्द बना और चल पड़ा । इसका यवन शब्द से संबंध नहीं मानते । भारतेंदु हरिश्चंद्र ने भी अपने नाटकों में यावनिका शब्द का प्रयोग किया है।