यवागू

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

यवागू संज्ञा पुं॰ [सं॰] जौ या चावल का वह माँड़ जो सड़ाकर कछु खट्टा कर दिया गया हो; अर्थात् जिसमें कुछ खमीर आ गया हो । माँड़ की काँजी । विशेष— इसका व्यवहार वैद्यक में पथ्य के लिये होता है; और यह ग्राहक, बलकारक तथा वातनाशक माना जाता है ।