योगक्षेम

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

योगक्षेम संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. जो वस्तु अपने पास न हो, उसे प्राप्त करना, और जो मिल चुकी हो, उसकी रक्षा करना । नया पदार्थ प्राप्त करना और मिले हुए पदार्थ की रक्षा करना । विशेष— भिन्न भिन्न आचार्यों ने इस शब्द से भिन्न भिन्न अभि- प्राय लिए हैं । किसी के मत से योग से अभीप्राय शरीर का है और क्षेम से उसकी रक्षा का, और किसी के मत से योग का अर्थ है धन आदि प्राप्त करना और क्षेम से उसकी रक्षा करना ।

२. जीवननिर्वाह । गुजारा ।

३. कुशल मंगल । खैरियत । उ॰— जब तक कोई अपनी पृथक् सत्ता की भावना को ऊपर किए इस क्षेत्र के नाना रूपों और व्यापारों को अपने योगक्षेम, हानि- लाभ, सुखदुःख आदि को संबंद्ध करके देखता रहता है तब तक उसका हृदय एक प्रकार से बद्ध रहता है ।—रस॰, पृ॰ ५ ।

४. दूसरे के धन या जायदाद की रक्षा ।

५. लाभ । मुनाफा ।

६. ऐसी वस्तु जिसका उत्तराधिकारियों में विभाग न हो ।

७. राष्ट्र की मुख्यवस्था । सुल्क का अच्छा इंतजाम ।