रंगना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]रंगना ^१ क्रि॰ स॰ [हिं॰ रंग+ना (प्रत्य॰)]
१. किसी वस्तु पर रंग चढ़ाना । रंग में डुबाकर अथवा रंग चढ़ाकर किसी चीज को रंगीन करना ।जैसे, कपड़ा रंगना । किवाड़े रंगना । सयो॰ क्रि॰—ढालना ।—देना ।
२. किसी को अपने प्रेम में फँसाना ।
३. अपने कार्यसाधन के अनुकुल करने के लिये बातचीत का प्रभाव डालना । अपने अनुकूल करना । अपना सा बनाना ।
रंगना ^२ क्रि॰ अ॰ किसी के प्रेम में लिप्त होना । किसी पर आसक्त होना । उ॰— जनम तासु को सुफल जो रंगे राम के रंग ।—रघुनाथदास (शब्द॰) । संयो॰ क्रि॰—जाना ।