रंद

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

रंद संज्ञा पुं॰ [सं॰ रन्ध्र] १, बंड़ी इमारतों की दीवारों के वे छेद जो रोशनी और हवा आने के लिये रखे जाते हैं । रौशनदान ।

२. किले की दीवारों का वह मोखा जिसमें से बाहर की ओर बंदूक वा तोप चलाई जाती है । मार । उ॰— क्या रेनी खंदक रंद बड़ा क्या कोट कँगूरा अनमोला । क्या वुर्ज रहकला तोप किला क्या शीशा दारु और गोला । —नजीर (शब्द॰) ।