रटना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

रटना क्रि॰ स॰ [अनु॰]

१. किसी शब्द को बार बार कहना । उ॰— (क) जानि यह केशोदास अनुदिन राम राम रटत न डरत पुनरुक्ति को ।—केशव (शब्द॰) । (ख) असगुन होहिं नगर पैसारा । रटहिं कुभाँति कुखेत करारा ।—तुलसी (शब्द॰) ।

२. जवानी याद करने के लिये बार बार उच्चारण करना । जैसे,—इन शब्दों का अर्थ रट डालो । संयो॰ क्रि॰—डालना ।—लेना । ३, बार वार शब्द करना । बजना । उ॰—कटि तट रटति चारु किंकिनि रव अनुपम वरनि न जाई ।—तुलसी (शब्द॰) ।