रथ
दिखावट
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]रथ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. प्राचीन काल की एक प्रकार की सवारी जिसमें चार या दो पहिए हुआ करते थे और जिसका व्यवहार युद्ध, यात्रा, विहार आदि के लिये हुआ करता था । शतांग । स्यंदन । गाड़ी । बहल ।
२. शरीर, जो आत्मा की सवारी माना जाता है ।
३. चरण । पैर ।
४. तिनिस का पेड़ ।
५. विहार करने का स्थान । क्रीडा़स्थल ।
६. शतरंज का वह मोहरा जिसे आजकल ऊँट कहते हैं । उ॰—राजा कील देइ शह माँगा । शह देइ चाह भरे रथ खाँगा ।—जायसी (शब्द॰) । विशेष—जब चतुरंग का पुराना खेल भारत से फारस और अरब गया, तब वहाँ रथ के स्थान पर ऊँट हो गया ।
७. बेत । बेतस् (को॰) ।
८. आनंद (को॰) ।
९. हिस्सा । भाग । अंग (को॰) ।
१०. वीर । रथी (को॰) ।