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रय

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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रय पु ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ रज] रज । घूल । गर्द । उ॰—ठाकुर विराजै जहाँ खेलै सूत औरन के डारें ईट खोवा रयो प्रभु पर खीजियो ।—प्रियादास (शब्द॰) ।

रय ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. वेग । तेजी । उ॰—यहु जानत है के सब गुण रथ के यासों रहत चुपाइ ।—गुमान (शब्द॰) ।

२. प्रवाह । नदी की धारा ।

३. ऐल के छह पुत्रों में से चौथे पुत्र का नाम ।

४. उत्साह (को॰) ।