रव
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]रव ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
रव (रव्).—[(i) रवि] आर. प्रथम वर्ग ( रामवते )
1.जाना,
2.गति करना।
१. गुंजार । ध्वनि । नाद । उ॰—(क) कूजत कल रव हंस गन गुंजत मंजुल भृंग ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) कलहंस पिक सुक सरक रव करि गान नाचहिं अपसरा ।— तुलसी (शब्द॰) ।
२. आवाज । शब्द ।
३. शोर । गुल ।
रव पु† ^२; संज्ञा पुं॰ [सं॰ रवि] सूर्य । उ॰—पावते मरम तौ न आवते जनक धाम जानहौं रूप देख वरहै रव के ।—ह्वदयराम (शब्द॰) ।
रव ^३ संज्ञा पुं॰ [देश॰] जहाज की चाल या गति । रूम । (लश॰) ।