रवाब
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]रवाब संज्ञा पुं॰ [अ॰] सारंगी को तरह का एक प्रकार का तंत्र- बाद्य जिसमे बजाने के लिये तार लगे होते है । उ॰—(क) सब रग ताँत रबाब तन बिरह बजाबै नित्त । और न कोई सुनि सकै कै साई कै चित्त ।—कबीर (शब्द॰) । (ख) बाजत बीन रबाब किन्नरी अमृत कुंडली यंत्र । सुरसर मंडल जल तरंग मिलि करत मोहनी मंत्र ।—सूर (शब्द॰) । (ग) अरे बजावत कौन ढिग छित रबाब के तार । जुरो जात है आइ कै बिरहिन को दरबार ।—रसनिधि (शब्द॰) ।
रवाब संज्ञा पुं॰ [अं॰ रबाब] दे॰ 'रबाब' ।