राज

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संज्ञा

शासन, अधिकार, सत्ता

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

राज ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ राज्य]

१. देश का अधिकार या प्रबंध । प्रजा- पालन की व्यवस्था । हुकूमत । राज्य । शासन । उ॰—(क) सुख सोवें जो राज याके सब । दुख पैहैं सो सकल प्रजा अब ।—सूर (शब्द॰) । (ख) खान बलि अली अकबर अद् भुत राज, रावरो है अचल सुयश भीजियतु है ।—गुमान (शब्द॰) । मुहा॰—राज करना = हुकूमत करना । प्रजापालन की व्यवस्था करना । उ॰—मोहिं चलो वन सग लिएँ । पुत्र तुम्हें हम देखि जिएँ । अवधपुरी महँ गाज परै । कै अब राज भरत्थ करै ।— केशव (शब्द॰) । राज काज = राज्य का प्रबंध । राज्य का काम । उ॰—(क) राज काज कुपथ कुसाज भोग रोग को है बेद बुधि विद्या वाय विवस बलकहीं ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) राज काज कछु मन नहिं धरै । चक्र सुदर्शन रक्षा करै ।— सूर (शब्द॰) । राज देना = किसी को किसी देश के शासन का भार देना । किसी को कहीं का शासक बनाना । राज सिंहासन पर बैठाना । राज्य का अधिकार देना । उ॰—दीन्हें मारि असुर हरि ने तब देवन दीन्हों राज । एकन को फगुआ इंद्रासन इक पताल को साज ।—सूर (शब्द॰) । राज पर बैठना = राज सिंहासन पर बैठना । राज्याधिकार पाना । उ॰—जब से वैठे राज, राजा दसरथ भूमि में । सुख सोयो सुरराज, ता दिन ते सुरलोक में ।—केशव (शब्द॰) । राज भूँजना = राज्य का भोग करना । शासन करना । बहुत सुख भोगना । उ॰—राजु कि भूँजव भरत पुर नृप कि जिइहिं बिनु राम ।—मानस, २ । ४९ । राज रजना = (१) राज्य करना । (२) राजाओं का सा सुख भोगना । बहुत सुख से रहना । राजा रजाना = बहुत सुख देना । यौ॰—राजपाट = (१) राजसिंहासन । (२) शासन । उ॰—सिर पर धरि न चलोगे कोऊ अनेक जतन करि माया जारी । राजपाट सिंहासनन बैठे नोल पदम है सो कहे थोरी ।—(शब्द॰) ।

२. उताना भूमिमान जितना एक राजा द्वारा शासित होता ही । एक राजा द्वारा शासित देश । जनपद । राज्य । उ॰—ऋषि राज तज्यों धन धान्य तज्यों सब । नारि तज्यों सुत सोच तज्यों तव ।—केशव (शब्द॰) ।

३. पूरा अधिकार । खूब चलती । जैसे,—आजकल बाजार भर में आपका राज है ।

४. अधिकार काल । समय । जैसे,—पिताजी के राज में सारा सुख भोग लिया ।

५. देश । जनपद । उ॰—एक राज महँ प्रगट जहँ द्वै प्रभु केशवदास । तहाँ बसत है रैनि दिन मूरातवंत विनाश ।— केशव (शब्द॰) ।

राज ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ राज् वा राजः]

१. राजा ।

२. कोई श्रेष्ठ वस्तु । किसी वर्ग की सर्वश्रेष्ठ वस्तु ।

३. वह कारीगर जो ईटों से दीवार आदि चुनता और मकान बनाता है । थवई । राजगीर ।

राज ^३ वि॰ श्रेष्ठ । सर्वोच्च । जैसे, मणिराज, ग्रहराज आदि ।

राज ^४ संज्ञा पुं॰ [फा॰ राज] रहस्य । भेद । गुप्त बात ।