रामानुज

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

रामानुज संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. रामचंद्र के छोटे भाई लक्ष्मण । उ॰—(क) रामानुज लघु देख खचाई ।—मानस, ६ । ३५ । (ख) रामानुज आगे करि आए जहँ रघुनाथ ।—मानस, ५ । २० । वैष्णव मत के एक प्रसिद्ध आचार्य और श्रीवैष्णव संप्रदाय के प्रवर्तक । विशेष—कहते हैं, रामानुज का जन्म सं॰ १०७३ में हुआ था । बाल्यवस्था में ये काँचीपुर (कांजीवरम्) में रहते थे । पहले ये वैष्णव यामुन मुनि के अनुयायी हुए और फिर उनकी गद्दी भी इन्हीं को मिली और ये श्रीरगंम् में रहने लगे । पर वहाँ के राजा शँकराचार्य के अद्वैत मत के अनुयायी थे । अतः उनसे अनबन हो जाने का कारण ये मैसूर चले गए । वहाँ के जैन राजा विष्णुवर्धन को इन्होंने वैष्णव बना लिया था । उसी राज्य में सं॰ ११९४ में १२१ वर्ष की अवस्था में इनका देहांत हुआ था । इन्होंने वेदांतसार, वेदांतदीप तथा वेदार्थसंग्रह ये तीन ग्रंथ बनाए थे और ब्रह्मसूत्र तथा भगवद् गीता पर भाष्य किए थे । इनके दार्शनिक सिद्धांतों के आधार उपनिषद् हैं । वेदांत में इनका सिद्धांत विशिष्टद्वैत के नाम से प्रसिद्ध है ।