रार
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]रार ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ रारि, प्रा॰ राड़ि (=लड़ाई)] झगड़ा । टंटा । हुज्जत । तकरार । उ॰—खंजन जुग माना करत लराई की बुझावत रार ।—सूर (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—करना ।—ठानना ।—मचाना ।
रार ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ राल] दे॰ 'राल' ।
रार पु ^३ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ रराट (=भ्रू)] नेत्र । आँख । उ॰— (क) याँ मुख झूठी आखनौं पूगौ साह दवार । अरज हुवंता असपती कीची रत्ती रार ।—रा॰ रू॰, पृ॰ १०२ । (ख) नवहत्थो मत्थो बड़ो रोस भटक्कै रार ।—बाँकी॰ ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ ११ ।