राल
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]राल ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. एक प्रकार का बहुत बड़ा सहाबहार पेड़ जो दक्षिण भारत के जंगलों में होता है । विशष—इसकी लकड़ी किसी काम की नहीं होती, पर इसका नियसि बहुत काम का होता है, जो 'राल' के नाम से बाजारों में मिलता है । यह निर्यास दो प्रकार का होता है—सफेद और काला । जव वृक्ष प्रायः दो वर्ष का होता है, तब उसके तने में जगह जगह काट देते हैं, जहाँ से चैत से अगहन तक निर्यास निकला करता है । यह निर्यास प्रायः दस वर्ष तक निकलता रहता है । इसका व्यवहार प्रायः बार्निश आदि के काम में होता है; और कुछ औषधों में भी इसका प्रयोग होता है ।
२. इस वृक्ष का निर्यास । धूना । धूप । यौं॰—रालकार्य—लाल वृक्ष ।
राल ^२ संज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार का कंबल ।
राल ^३ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ लाला]
१. वह पतला लसदार थूक जो प्रायः बच्चों और कभी कभी बुड्ढों के मुँह से आपसे आप बहा करता है । दाँतों की पीड़ा आदि मे कोई कोई दबा लगाने पर भी यह मुँह से निकलकर गिरने लगती है । लार । मुहा॰—राम गिरना, चूना या टपकना=किसी पदार्थ को देखकर उसे पाने की बहुत इच्छा होना । मुँह में पानी भर आना । जैसे,—जहाँ कोई अच्छी चीज दिखाई दी कि तुम्हारे मुँह से राल टपकी ।
२. चौपायों का एक रोग जिसमें उन्हें खाँसी आती है और उनके मुँह से पतला लसदार पानी गिरता है ।