रास्ना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]रास्ना संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. गंधनाहुली नामक कंद । घोड़रासन । विशेष—यह आसाम, लंका, जावा आदि में अधिकता से होती है । वैद्यक में यह गुरु, तिक्त, उष्ण और विष, वात, खाँसी, शोथ, कंप, कफ आदि की नाशक और पाचक मानी गई है । वैद्यक में इससे रास्ना गुग्गुल, रास्नादशमूल, रास्नादिक्वाथ, रास्नादिलौह, रास्नापंचक, रास्नासप्तक आदि अनेक औषध बनते हैं ।
२. एलापर्णो नाम की ओषधि ।
३. रुद्र की प्रधान पत्नी का नाम ।
४. रस्सी । रज्जु (को॰) ।
५. करवनी । मेखला (को॰) ।