रिरकना पु क्रि॰ अ॰ [सं॰ √ऋ] १. सरकना । खिसकना । उ॰— प्यौ लखि सुंदरि सुंदरि सेज तें यों रिरकी थिरकी थहरानी । बात के लागे नहीं ठहरात है ज्यों जलजात के पात पै पानी ।—पद्माकर ग्रं॰, पृ॰ १६९ । २. गिड़गिड़ाना । रिरियाना ।