रिस
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]रिस संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ रुष] क्रोध । गुस्सा । कोप । नाराजगी । उ॰—(क) सुनि सुदान राजै रिस मानी ।—जायसी (शब्द॰) । (ख) महाप्रभु कृपाकरन रघुनंदन रिस न गहै पल आधु ।— सूर (शब्द॰) । (ग) जात पुकारत आरत बानी । देखि दुशासन अति रिस मानी ।—सबल (शब्द॰) । मुहा॰—रिस मारना = क्रोध को रोकना । उ॰—(क) धर्मज बदन निहारि, बिकल सकल रिस मरि उर । दीन गदा महि डारि, भीम बिकल पारय अतिहि ।—सबल (शब्द॰) । (ख) रामै राम पुकार हनुमान अंगद कह्यौ । तव रावण रिस मारि रामचंद्र मन में धरे ।—हृदयराम (शब्द॰) ।