रिसना † क्रि॰ स॰ [हिं॰ रसना] बहुत ही छोटे छोटे छिद्रों द्वारा छन छनकर बाहर निकल जाना । रसना । उ॰—वहाँ की मिट्टी ऐसी दरदरी थी कि जो दीया बनाते तो जलाने के समय सारी चरबी पिघलकर उसके भीतर से रिस जाती ।— शिवप्रसाद (शब्द॰) ।