सामग्री पर जाएँ

रुद्र

विक्षनरी से

प्रकाशितकोशों से अर्थ

[सम्पादन]

शब्दसागर

[सम्पादन]

रुद्र ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] एक प्रकार का गणदेवता । विशेष— इनकी उत्पत्ति सृष्टि के आरंभ में ब्रह्मा की भौहों से हुई थी । ये क्रोध रुप माने जाते हैं और भूत, प्रेत, पिशा च आदि इन्हीं के उत्पन्न कहे जाते हैं । ये कूल मिलाकर ग्यारह हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं—अज, एकपाद, अहिव्रघ्न, पिनाकी, अपराजित, त्र्यंबक, महेश्वर, वृषाकपि, शंभु, हरण और ईश्वर । गरुड़ पुराण में इनके नाम इस प्रकार हैं— अजैक पाद अहिव्रध्न, त्वष्टा, विश्वरुपहर, बहुरुप, त्र्यंबक, उपराजित, वृषाकपि, शंभु, कपर्दी और रैवत । कूर्म पुराण में लिखा हे कि जब आरंभ में बहतु कुछ तपस्या करने पर भी ब्रह्मा सृष्टि न उत्पन्न कर सके , तब उन्हें बहुत क्रोध हुआ और उनकी आँखों से आँसू निकलने लगे, उन्हीं आँशुओं से भूतों और प्रेतों आदि की सृष्टि हुई; और तब उनके मुख से ग्यारह रुद्र उत्पन्न हुए । ये उत्पन्न होते ही जोर जोर से रोने लगे थे; इसलिये इनका नाम रुद्र पड़ा था । इसी प्रकार और भी अनेक पुराणों में इसी प्रकार की कथाएँ हें । वैदिक साहित्य में अग्नि को ही रुद्र कहा गया है और यह माना गया है कि यज्ञ का अनुष्ठान करने के लिये रुद्र ही यज्ञ में प्रेवश करते हैं । वहाँ रुद्र को अग्निरुपी, वृष्टि करनेवाला, गरजनेवाला देवता कहा गया हो, जिससे वज्र का भी अभीप्राय निकलता है । इसके अतिरिक्त कहीं कहीं 'रुद्र' शब्द से इंद्र, मित्र, वरुण, पूषण और सोम आदि अनेक देवताओं का भी बोध होता है । एक जगह रुद्र को मरुदगण का पिता और दुसरी जगह अंबिका का भाई भी कहा गया है । इनके तीन नेत्र बतलाए गए हैं और ये सव लोकों का नियंत्रण करनेवाले तथा सर्पों का ध्वंस करनेवाले कहे गए हैं ।

२. ग्यारह की संख्या । उ॰— तेहि मधि कुश करि विटप सुहावा । रुद्र सहस योजन कर गावा । —विश्राम (शब्द॰) ।

३. शिव का एक रुप । उ॰— (क) रुद्रहिं देखि मदन भय माना । दुराधर्ष दुर्गम भगवाना । —तुलसी (शब्द॰) । (ख) केशव बरणहुँ युद्ध में योगिनि गण युत रुद्र । —केशव (शब्द॰) । (ग) रुद्र के चित्त समुद्र वसै नित ब्रह्महुँ पै वरणी जो न जाई । केशव (शब्द॰) । (घ) दशरथ सुत द्वेषी रुद्र ब्रह्मा न भासै । निशिचर वपुरा भू क्यों नस्यो मूल नासै । —केशव (शब्द॰) । विशेष —कहा गया हे कि इसी रुप में इन्होंने कामदेव को भस्म किया था, उमा और गंगा आदि के साथ विवाह किया था, आदि ।

४. विश्वकर्मा के एक पुत्र का नाम ।

५. प्राचीन काल का एक प्रकार का बाजा ।

६. भदार का पेड़ । आक ।

७. रौद्र रस । उ॰— प्रथम श्रृंगार सुहास्य रस करुणा रुद्र सुवीर । भय वीभत्स बखानिए अदभुत शांत सुधीर । केशव(शब्द॰) ।

रुद्र ^२ वि॰ भयंकर । डरावना । भयावना । भयानक । उ॰— हम बूड़त हैं विपता समुद्र । इन राखि लियो संग्राम रुद्र । —केशव (शब्द॰) ।

२. क्रंदन करनेवाला ।