रूठना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

रूठना क्रि॰ अ॰ [सं॰ रुष्ट, प्रा॰ रुट्ठ + हिं॰ ना (प्रत्य॰)] किसी से अप्रसन्न होकर कुछ समय के लिये सबंध छोड़ना । नाराज होना । रूसना । उ॰—(क) कबीर ते नर अंध हैं । गुरु को कहते और । हरि के रूठे ठौर है गुरु रूठे नहिं ठौर ।—कबीर (शब्द॰) । (ख) उलटि द्दष्टि माया सो रूठी । पलट न फेरि जान कै झूठी ।—जायसी (शब्द॰) । (ग) जेहि कृत कपट कनक मृग झूठा । अजहुँ सो दैव मोहिं । पर रूठा ।—तुलसी (शब्द॰) । (घ) रूठिवे को तूठिवे को मृदु मुसुकाइ कै बिलोकेवे को भेद कछू कह्यो न परतु है ।—केशव (शब्द॰) । संयो॰ क्रि॰—जाना ।—पड़ना ।—बैठना ।