रूढ़
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]रूढ़ वि॰ [सं॰ रूढ] [वि॰ स्त्री॰ रूढ़ा]
१. चढ़ा हुआ । आरूढ़ ।
२. उत्पन्न । जात ।
३. प्रसिद्ध । ख्यात । प्रचलित । जैसे— इसका रूढ़ अर्थ यही है ।
५. गवाँर । उजड्ड़ । उ॰—और गूढ़ कहा कहों मूढ़ हौं जू जान जाहु प्रोढ़ रूढ़ केशवदास नीके करि जाने हो ।—केशव (शब्द॰) ।
५. कठोर । कठिन । उ॰— चाकी चली गोपाल की सब जग पीसा झारि । रूढा़ शब्द कबीर का डारा चाक उखारि ।—कबीर । (शब्द॰) ।
६. अकेला । अविभाज्य । जैसे,—रूढ़ संख्या । ७ फल, तरकारी आदि का कड़ा हो जाना ।
रूढ़ ^२ संज्ञा पुं॰ अर्थानुसार शब्द का वह भेद जो दो शब्दों या शब्द और प्रत्यय के योग से बना हो तथा जिसके खंड सार्थ न हों । यह यौगिक का उलटा है । रूढ़ि । जैसे,—कुब्जा, घोड़ा इत्यादि ।