रोमंथ संज्ञा पुं॰ [सं॰ रोमन्थ] १. सींगवाले चौपायों का निगले हुए चारे को फिर से मुँह में लाकर धीरे धीरे चबाना । जुगाली । पागुर । २. लगातार दोहराना । अनवरत आवृत्ति (को॰) ।