रोर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

रोर ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ रवण]

१. बहुत से लोगों के मुँह से निकलकर उठी हुई संमिलित ध्वनि । कलकल । हल्ला । कोलाहल । रौला । शोरगुल । चिल्लाहट । उ॰—(क) परी भोर ही रोर लंक गढ़, दई हाँक हनुमान ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) जिनके जात बहुत दुख पायो, रोर परी एहि खेरे ।—सुर (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—उठना ।—करना ।—पड़ना ।—मचना ।

२. बहुत से लोगो के रोने चिल्लाने का शब्द । उ॰—धरी एक सुठि भएउ अँदोरा । पुनि पाछे बीता होइ रोरा ।—जायसी (शब्द॰) ।

३. धुम । धमासान । उपद्रव । हलचल । आदोंलन ।

रोर ^२ वि॰

१. प्रचंड । तेज । दुर्दमनीय । उ॰—(क) देव बंदछोर, रन रोर केसरीकिसोर, जुग जुग तेरे बर विरद बिराजे हैं ।— तुलसी (शब्द॰) । (ख) ते रन रोर कपीस किसोर बड़े बरजोर परे फंग पाए ।—तुलसी (शब्द॰) ।

२. उपद्रवी । उद्धत । दुष्ट । अत्याचारी । उ॰—(क) आपनी न बुझै, न कहे को राड़ रोर रे ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) तालने को बाँधबी, बध रोर को, नाथ के साथ चिता खरिए जु ।—केशव (शब्द॰) ।