लक्षणा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

लक्षणा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. लक्षण शब्द की वह शक्ति जिससे उसका अर्थ लक्षित हो जाता है । शब्द की वह शक्ति जिससे उसका अभिप्राय सूचित होता है । विशेष—कभी कभी ऐसा होता है कि शब्द के साधारण अर्थ से उसका वास्तविक अभिप्राय नहीं प्रकट होता । वास्तविक अभि- प्राय उसके साधारण अर्थ से कुछ भिन्न होता है । शब्द को जिस शक्ति से उसका वह साधारण से भिन्न और दूसरा वास्तविक अर्थ प्रकट होता है, उसे लक्षणा कहते हैं । साहित्य में यह शक्ति दो प्रकार की मानी गई है—निरूढ़ और प्रयोजनवती (विशेष दे॰ ये दोनों शब्द) ।

२. मादा हंस । हंसी ।

३. मादा सारस । सारसी ।

४. छोटी भटकटैया ।

५. एक अप्सरा का नाम जिसका उल्लेख महाभारत में हैं ।

६. दुर्योधन की पुत्री का नाम जिसका विवाह कृष्ण के पुत्र साँब से हुआ था । लक्ष्मणा ।