लक्ष्मण
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]लक्ष्मण ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. रघुवंशी राजा दशरथ के चार पुत्रों में में से दूसरे पुत्र, जो सुमित्रा के गर्भ से उत्पन्न हुए थे । विशेष— जब मिथिला में रामचंद्र जी ने धनुष तोड़ा था, तब परशुराम के बिगड़ने पर इन्होंने उनसे वादविवाद किया था । उसी अवसर पर उर्मिला के साथ इनका विवाह हुआ था । यद्यपि इनका स्वभाव बहुत ही उग्र और तीव्र था, तथापि ये अपने बड़े भाई रामचंद्र के बहुत बड़े भक्त थे; और सदा उनके अनुगामी रहते थे । जब रामजंद्र जी बन को जाने लगे थे, तब ये भी अयोध्या का सारा सुख छोड़कर केवल भक्ति और प्रेम- वश उनके साथ हो लिए थे । बन में ये सदा सब प्रकार से उनकी सेवा किया करते थे । रावण की बहन शूर्पनखा की नाक इन्हीं ने काटी थी । जिस समय मारीच सोने के मृग का रूप धरकर आया था और रामचंद्र उसे मारने निकले थे, उस समय सीता की रक्षा के लिये यही कुटी में थे । पर पीछे से सीता के बहुत आग्रह करने पर ये रामचंद्र का पता लगाने के लिये जंगल में गए । राम-रावण-युद्ध के समय ये बहुत वीरता- पूर्वक लड़े थे और मेघनाद का वध इन्होंने किया था । उस युद्ध में ये एक बार शक्ति बाण लगने के कारण मूर्छित हो गए थे, जिसपर रामचंद्र जी ने बहुत अधिक विलाप किया था । पर हनुमान द्वारा ओषधि लाए जाने पर उसके सेवन से शीघ्र ही इनकी मूर्छा दूर हो गई थी और ये फिर उठकर लड़ने लगे थे । जिस समय सीता जी अपने सतीत्व का प्रमाण देने के लिये अग्निप्रवेश करने को प्रस्तुत हुई थीं, उस समय रामचंद्र की आज्ञा से इन्हीं ने सीता के लिये चिता तैयार की थी । रामचंद्र के वनवास के कारण ये अपने पिता राजा दशरथ और भाई भरत से बहुत अप्रसन्न हो गए थे; पर पीछे से भरत की ओर से इनका मन साफ हो गया था और इन्होंने समझ लिया था कि इसमें भरत का कोई दोष नहीं है । ये बहुत ही तेजस्वी, वीर और शुद्ध चरित्र के थे । उर्मिला से इन्हें अंगद और चंद्रकेतु नाम के दो पुत्र थे । पुराणानुसार ये शेषनाग के अवतार माने जाते हैं ।
२. दुर्योधन के पुत्र का नाम ।
३. चिह्न । लक्षण ।
४. नाग ।
५. आख्या । नाम (को॰) ।
६. सारस ।
लक्ष्मण ^२ वि॰
१. चिह्न वा लक्षणों से युक्त ।
२. जो श्री से युक्त हो । भाग्यशाली । जिसमें शोभा और कांति हो ।