लक्ष्मी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]लक्ष्मी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. हिंदुओं की एक प्रसिद्ध देवी जो विष्णु की पत्नी और धन की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं । विशेष— भिन्न भिन्न पुराणों में इनके संबंध में अनेक कथाएँ मिलती हैं । इनकी उत्पत्ति के संबंध में प्रसिद्ध है कि देवताओं और दानवों के समुद्र मथने से जो चौदह रत्न निकले थे, उन्हीं में से एक यह भी थीं । इनका वर्ण श्वेत चंपक या कंचन के समान, कमर बहुत पतली, नितब बहुत विशाल और चार भुजाएँ मानी जाती हैं । यह भी कहा गया है कि ये अत्यंत सुंदरी हैं । और सदा युवती रहती हैं । ये महालक्ष्मी भी कही जाती हैं और इनकी पूजा अनेक अवसरों पर, विशेषतः धनतेरस और दीवाली की रात को होती है । मूर्तियों में ये या तो अकेली बैठी हुई और या क्षीरसागर में सोते हुए विष्णु भगवान् के चरण दबाती हुई दिखलाई जाती हैं ।
लक्ष्मी टोड़ी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ लक्ष्मी+हिं॰ टोड़ी] एक प्रकार की संकर रागिनी जिसमें सब कोमल स्वर लगते हैं ।