लघु
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]लघु मिलनो बिछुरन घनो ता बिच बैरिन लाज । द्दग अनुरागी भाव ते कहु कह करै इलाज ।—रसनिधि (शब्द॰) ।
२. विरोधी ।
लघु ^१ वि॰ [सं॰]
१. शीघ्र । जल्दी ।
२. जो बड़ा न हो । कनिष्ठ । छोटा । जैसे,—लघु स्वर, लघु मात्रा ।
३. सुदर । बढ़िया । आनंददायक । इष्ट । अभिप्रेत ।
४. जिसमें किसी प्रकार का सार या तत्व न हो । निःसार । महत्वहीन । अना- वश्यक ।
५. स्वल्प । थोड़ा । कम ।
६. हलका । सरल । आसान ।
७. नीच । क्षुद्र । नगण्य ।
८. दुर्बल । दुबला । ९ । आमश्रित । शुद्ध । निमंल (को॰) ।
१०. फुतौला (को॰) ।
लघु ^२ संज्ञा पुं॰
१. काला अगर ।
२. उशीर । खंस ।
३. हस्त, अश्विनी औरं पुष्य ये तीनों नक्षत्र जो ज्योतिष में छोटे माने गए है और जिनका गण 'लघुगण' कहा गया है ।
४. समय का एक परिमाण जो पंद्रह क्षणों का होता है ।
५. तीन प्रकार के प्राणायामों में से वह प्राणांयाम जो बारह मात्राओं का होता है (शेष दो प्राणायाम मध्यम और फत्तम कहलाते हैं) ।
६. व्याकरण में वह स्वर जो एक ही मात्रा का होता है । जैसे,— अ, इ, उ, ओ, ए आदि ।
७. वह जिसमें एक ही मात्रा हो । एकमात्रिक । इसका चिह्न (I) हैं । विशेष—इस अर्थ में इसका प्रयोग संगीत में ताल के संबंध में और छंदःशास्त्र में वर्ण के सबंध में होता है ।
८. वंशी का छोटा होना, जो उसके छह् दोषों में से एक माना जाता है ।
९. चाँदी ।
१०. पृक्का । असबरण ।
११. वह जिसका रोग छूट गया हो (रोग छूटने पर शरीर कुछ हलका जान पड़ता है) ।