ललचाना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]ललचाना ^१ क्रि॰ सं॰ [हिं॰ ललचना]
१. किसी के मन में लालच उत्पन्न करना । प्राप्ति की अभिलाषा से अधीर करना । लालसा उत्पन्न करना ।
२. मोहित करना । लुभाना । उ॰—चूनरि चारु चुई सी परै चटकीली हरी अंगिया ललचावै ।—पद्माकर (शव्द॰) ।
४. कोई अच्छी या लुभप्नेवाली वस्तु सामने रखकर किसी के मन में लालच उत्पन्न करना । कोई वस्तु दिखा दिखाकर उसके पाने के लिये अधीर करना । जैसे,— उसे दूर से दिखाकर ललचाना, देना कभी मत । मुहा॰—जी या मन ललचाना=मन मोहित करना । मुग्ध करना । लुभाना । उ॰—गली में आय, तान मोहिनी सुनाय, मेरो मन ललचाय भरयो कानन में रस है ।—(शब्द॰) ।
ललचाना पु ^२ क्रि॰ अ॰ दे॰ 'ललचना' । उ॰—(क) भौंहन चढ़ाय छिनु रहै लखि ललचाय, मुरि मुसुकाय छिन सखी सों लपटि जाय ।—रघुनाथ (शब्द॰) । (ख) साँझ समै दीप को बिलोकि ललचाय सोऊ लैबे को चहत दोऊ कर को उठावै री ।—दीनदयाल (शब्द॰) ।