ललिता

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

ललिता संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में तगण, भगण, जगण और रगण होते हैं । जैसे—तै भाजि री अलि छिपी फिरै कहाँ । तूही बता थल हरी नहीं जहाँ ।

२. पझपुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण आदि के अनुसार राधिका की प्रधान आठ सखियों में से एक ।

३. एक रागिनी जो संगीतदामोदर और हनुमत के मत से मेघ राग की और सोमेश्वर के मत से वसंत राग की पत्नी है । इसका स्वरग्राम इस प्रकार है—स ग म ध नि स अथवा स रे ग म प ध नि स (प्रथम); ध नि स ग म ध (द्वितीय)

४. कस्तूरी ।

५. पुराणोक्त एक नदी । वेशेष—कालिका पुराण में लिखा है कि जब निमि राजा के शाप से वशिष्ठ देहहीन हो गए, तब उन्होंने कामरूप देश में संध्याचल पर्वत पर घोर तप किया, जिससे प्रसन्न होकर विष्णु ने उन्हें वर दिया । वर के प्रभाव से वशिष्ठ ने एक अमृतकुंड बनाया । उसी अमृतकुंड के पूर्व ललिता नाम की एक मनोहर नदी है, जिसे शिव जी ले आए थे । वैशाख शुकन ३ को इसमें नहाने का बड़ा फल है ।

६. महिला । कामिनी । सुंदरी स्त्री (को॰) ।

७. दुर्गा का एक नाम (को॰) । यौ॰—ललितापंचमी । ललितापष्ठी । ललितासप्तमी ।