लात
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]लात ^१ स्त्री॰ स्त्री॰ [देशो लता, लत्तिया ?]
१. पैर । पाँव । पद । उ॰—तेहि अंगद लात उठाई । गहि पद पटक्यो भूम ि भँवाई ।—तुलसी (शब्द॰) ।
२. पैर से किया हुआ आघात या वार । पदाघात । पादप्रहार । मुहा॰—लात खाना = (१) पैरों कों ठोकर या मार सहना । (२) मार खाना । लात चलाना = लात से मारना । लात से आघात करना । लात जाना = गौ भैस आदि का दूध देते समय दूहनेवाले को लात मारकर दूर हट जाना । बिसुकना । लात मारना = तुच्छ समझकर छोड़ देना । त्याग देना । जैसे,—(क) हम ऐसी दौलत को लात मारते हैं । (ख) तुमने जान बूझकर रोजी को लात मारी है । लात मारकर खड़ा होना = बहुत अधिक रुग्णावस्था से, विशेषतः स्त्रियों का प्रसव के उपरांत, नीरोग होकर चलने फिरने के योग्य होना ।
लात ^२ वि॰ [सं॰] गृहीत । प्राप्त [को॰] ।