लालच

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

लालच संज्ञा पुं॰ [सं॰ लालसा] [वि॰ लालची] कोई पदार्थ, विशेषतः धन आदि प्राप्त करने की इतनी अधिक और ऐसी कामना जो कुछ भद्दी और बेढंगी हो । कोई चीज पाने की बहुत बुरी तरह इच्छा करना । लोभ । लोलुपता । जैसे,—हर काम में बहुत ज्यादा लालच करना ठीक नहीं है । कि॰ प्र॰—आना ।—करना ।—छाना ।—पकड़ना ।—बढ़ना ।— मरना ।—होना । मुहा॰—लालच देना = किसी के मन में लालच उत्पन्न करना । जैसे,—उसने लड़के को मिठाई का लालच देकर उसके सब गहने ले लिए ।