लास
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]लास ^३ वि॰ [सं॰]
१. चमकता हुआ शोभित ।
२. इधर उधर हिलता हुआ । कपिन [को॰] ।
लास ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ लास्य]
१. एक प्रकार का नाच । दे॰ 'लास्य' । ललित नृत्य ।
२. मटक । उ॰—लास भरी भौंहन विलास भरे भाल मृदु हास भरे अधर सुधारस घुरे परैं ।—देव (शब्द॰) ।
लास ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. जूस । रसा । शोरबा ।
२. उछलकूद । स्वच्छंद क्रीड़ा (को॰) ।
३. लास्य । एक नृत्य, विशेषतः स्त्रियों का (को॰) ।
लास ^३ संज्ञा पुं॰ [?] उस छड़ के दोनों कोने जिसे पाल बाँधने के लिये मस्तूल में लटकाते हैं । (लश॰) । मुहा॰—लास करना=चलती हुई नाव को रोकने के लिये डाँडों को बहते हुए पानी में बेड़े बल में ठहराना । (लश॰) ।
लास पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ लास्य] दे॰ 'लास्य' । उ॰—तांडव लासि ओर अंग को गनें जे जे रुचि उपजत जा के ।—स्वा॰ हरिदास (शब्द॰) ।