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लासा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

लासा संज्ञा पुं॰ [हिं॰ लस]

१. कोई लसदार या चिपचिपी चीज । चेप । लुआब । उ॰—(क) नाम लगि ल्याय लासा ललित वचन कहि व्याध ज्यौं विषय विहंगनि बझावौ ।—तुलसी (शव्द॰) । (ख) चितवनि ललित लकुट लासा लटकनि पिय कापै अलक तरंग ।—सूर (शब्द॰) ।

२. एक विशेष प्रकार का चिपचिपा पदार्थ जो बहेलिए लोग चिड़ियों को फँसाने के लिये बरगद और गूलर के दूध में तीसी का तेल पकाकर बनाते हैं । विशेष—इस लासे को प्रायः वे लोग वृक्षों की डालियों पर लगा देते है; और जव पक्षी उनपर आकर बैठते हैं, तब उनके परों में यह लग जाता है, जिससे वे उड़ नहीं सकते । उस समय बहेलिए उन्हें पकड़ लेते हैं । मुहा॰—लासा लगाना=किसी को फेसाने के लिये किसी प्रकार का लालच या धोखा देना । फंदे में फँसाना । लासा होना= हरदम साथ लगे रहना । पीछा न छोड़ना ।