लाही
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]लाही † ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ लाक्ष, हिं॰ लाख, लाह]
१. लाल रंग का वह छोटा कीड़ा जो वृक्षों पर लाख उत्पन्न करता है । विशेष दे॰ 'लाख' ।
२. इससे मिलता जुलता एक प्रकार का कीड़ा जो प्रायः माघ फागुन में पुरवा हवा चलने पर उत्पन्न होता है और फसल को बहुत हानि पहुँचाता है ।
लाही ^२ वि॰ लाह के रंग का । मटमैलापन लिए लाल । उ॰— तनसुख सारी, लाही अँगिया, अतलस अँतरौटा, छबि, चारि चारि चूरी पहुँचीनि पहुँची षमकि बनी नकफूल जेब मुख बीरा चोका कौधें सभ्रम भूली ।—स्वा॰ हरिदास (शव्द॰) ।
लाही ^३ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ लावा] धान, बाजरे आदि के भूने हुए दाने । लावा । लाजा । खील । यौ॰—लाही का सत्तू=धान की खीलों को पीसकर बनाया हुआ सत्तू जो बहुत हलका होता है और प्रायः रोगियों को पथ्य के रूप में दिया जाता है ।
लाही ^४ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰]
१. सरसों ।
२. काली सरसों ।
३. तीसरी बार का साफ किया हुआ शोरा ।