लेहन संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ लेहक, लेह्य] चाटना । उ॰—जहँ जहँ भीर परत भक्तन को तहँ तहँ होत सहाय । अस्तुति करि मन हरष बढ़ायो लेहन जोभ कराय ।—सूर (शब्द॰) ।