लैङ्गिक

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

लैंगिक संज्ञा पुं॰ [सं॰ लैङगिक]

१. वैशेषिक दर्शन के अनुसार अनुमान प्रमाण । वह ज्ञान जो लिंग द्वारा प्राप्त हो । विशेष—इसका स्पष्ट लक्षण सूत्र में न कहकर इसे उदाहरण द्वारा इस प्रकार लक्षित किया गया है कि यह इसका कार्य है, यह इसका कारण है, यह इसका संयोगी है, यह इसका विरोधी है, यह इसका समवाची है, आदि; इस प्रकार का ज्ञान लैंगिक ज्ञान कहलाता है । इसी को न्याय में अनुमान कहते हैं ।

२. मूर्तिकार । शिल्पी । भास्कर । कारीगर (को॰) ।

लैंगिक ^२ वि॰ [वि॰ स्त्री॰ लैंगिकी]

१. चिह्नों या लक्षणों पर आधारित । अनुमित (को॰) ।

२. लिंग संबंधी । जननेंद्रिय संबंधी ।

३. मूर्तिकार (को॰) ।