लोकायत संज्ञा पुं॰ [सं॰] १. वह मनुष्य जो इस लोक में अतिरिक्त दूसरे लोक को न मानता हो । २. चार्बाक दर्शन, जिसमें परलोक या परोक्षवाद का खंडन है । ३. किसी किसी के मत से टुर्मिल नामक छंद का एक नाम ।