लोपामुद्रा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

लोपामुद्रा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. अगस्त्य ऋषि की स्त्री का नाम । लोपा । विशेष—पुराणों में लिखा है कि अगस्त्य ने बहुत दीर्घ काल तक ब्रह्मचर्य धारण किया था और वे विवाह नहीं करते थे । एक बार उन्होने स्वप्न में देखा कि उनके पितर गड्ढे में उलटे लटके हुए हैं । अगस्त्य ने उन्हें इस प्रकार अधोमुख लटका देखकर उनसे कारण पूछा । पितरों ने कहा कि यदि तुम विवाह कर के संतान उत्पन्न करो, तो हम लोगों को इस यातना से छुट्टी मिले । अगस्त्य ने बहुत ढूँढा, पर उनको विवाह करने योग्य सर्वलक्षणों से युक्त कोई कन्या नहीं मिली । अतः उन्होंने सब प्राणियों के उत्तम उत्तम अँग लेकर एक कन्या बनाई । उस समय विदर्भ देश का राजा पुत्र के लिये तप कर रहा था । अगस्त्य जी ने लोपामुद्रा उसी विदर्भराज को प्रदान की । जब वह बड़ी हुई, तब अगस्त्य जी ने विदर्भराज से कन्या की याचना की । विदर्भराज ने लोपामुद्रा अगस्त्य जी को सोँप दी और अगस्त्य जी ने उसका पाणिग्रहण कर उसे अपनी पत्नी बनाया । पर्या॰—लोपा । कोशीतकी ।वरप्रदा ।

२. एक तारे का नाम जो दक्षिण में अगस्त्य मंडल के पास उदय होता है ।