लोभ

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

लोभ संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ लुब्ध, लोभी]

१. दूसरे के पदार्थ को लेने की कामना । —तृष्णा । लिप्सा । स्पृहापर्या॰ । कांक्षा । गर्द्ध । इच्छा । वांछा । अभिलाषा ।

२. जैन दर्शन के अनुसार वह मोहनीय कर्म जिसके कारण मनुष्य किसी पदार्थ को त्याग नहीं सकता । अर्थात् यह त्याग का वाधक होता है । अधैर्यता । अधीरता (को॰) ।

४. कृप- णता । कजुंसी ।